यहां जानें, बिस्‍तर पर पड़े-पड़े क्‍यों हो जाता है बेडसोर

यहां जानें, बिस्‍तर पर पड़े-पड़े क्‍यों हो जाता है बेडसोर

अक्‍सर लंबे समय तक बिस्‍तर या व्‍हीलचेयर पर एक ही स्थिति में पड़े रहने से हमारी त्‍वचा और उसके अंदर हो जाने वाले घाव को बेडसोर कहा जाता है। बेडसोर को दवाब वाले घाव/सोर या दवाब वाले अल्सर के नाम से भी जाना जाता है। बेडसोर त्वचा पर लंबे दवाब के कारण ऊतकों और त्वचा में होने वाला घाव होता है। आमतौर पर बेडसोर त्वचा पर विकसित होते है, जिसमें शरीर के हड्डी वाले हिस्से शामिल हैं, जैसे कि एड़ी, टखना, कूल्हा या नितंब।

मेडिकल वजहों के कारण शारीरिक स्थिति बदलने की प्रतिबंधित क्षमता, व्हीलचेयर के उपयोग की आवश्यकता या लंबे समय तक बिस्तरों पर रहना इत्यादि से पीड़ित अधिकांश लोगों को बेडसोर से पीड़ित होने का ज़ोखिम होता है।

बेडसोर जल्दी विकसित हो सकते हैं और इन्हें उपचारित करना मुश्किल होता है। हालांकि देखभाल से जुड़ी कुछ सावधानियां बेडसोर को रोकने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।

 

लक्षण 

बेडसोर के निम्नलिखित लक्षण हैं:

 

  • लाल त्वचा, जो कि एक समय के बाद ख़राब हो जाती है।
  • छाले।
  • खुले घाव।

 

दवाब से होने वाले घाव सामान्यत: निम्नलिखित पर दिखाई देते है:

  • टखना
  • सिर के पीछे
  • पीछे की ओर
  • नितंब
  • कोहनी
  • कूल्हा
  • एड़ी
  • कंधा

 

दबाव से होने वाले घावों को गहरी ऊतकों की चोट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो कि बैंगनी या लाल रंग के हो सकते है। बेडसोर त्वचा या रक्त भरे छालों का हिस्सा हो सकते है, जो कि दबाव से नरम ऊतकों की क्षति के कारण होते है। आसपास का हिस्सा नज़दीकी ऊतकों की तुलना में संक्रमित (घाव), कड़ा, पिलपिला, नरम, गर्म या ठंडा हो सकता है। 

 

कारण

‘त्वचा पर दबाव’ प्रभावित हिस्से में रक्त के प्रवाह को कम करता है। पर्याप्त रक्त के बिना त्वचा मृत हो जाती है, जो कि अल्सर उत्पन्न करती है। 

 

किसी को निम्नलिखित कारण से बेडसोर हो सकता है:

  • यदि कोई व्यक्ति व्हीलचेयर का उपयोग करता है या लंबे समय तक बिस्तर पर रहता है, तो उसे बेडसोर हो सकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति मेरुदण्ड या मस्तिष्क की चोट या स्केलेरोसिस जैसे रोग के कारण बिना किसी मदद के शरीर के हिस्सों को हिला-डुला नहीं पाता है, तो उसे बेडसोर हो सकता है। 
  • कोई व्यक्ति मधुमेह या संवहनी रोग के साथ किसी रोग से पीड़ित है, जो कि रक्त प्रवाह को प्रभावित करता है, तो उसे बेडसोर हो सकता है।
  • कोई अल्जाइमर रोग या अन्य स्थिति से पीड़ित है, जो कि मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है, तो उसे बेडसोर हो सकता है।
  • कोमल त्वचा।
  • पेशाब अनियंत्रित या आंत्र अनियंत्रण।
  • पोषण का अभाव या कुपोषण।

 

 

निदान

 

यदि कोई व्यक्ति विस्तर या व्हीलचेयर पर है, तो बेडसोर के संकेतों को जानें

त्वचा चटकने की गंभीरता को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: 

चरण एक: त्वचा की असामान्य लालिमा। त्वचा उपस्थित है। इस चरण को उपचारित किया जा सकता है। 

चरण दो: लालिमा, जो कि घर्षण, छाला, या कम गहरे अंदर की ओर होने वाले घावों (घाव) में बढ़ जाती है। यह चरण उपचारित होने योग्य है।  

चरण तीन: अंदर की ओर होने वाले घाव या अल्सर, जिनका विस्तार त्वचा के नीचे शुरू हो गया है। यह चरण जीवन के लिए घातक हो सकता है। 

चरण चार: मांसपेशी, हड्डी या टेंडन या जोड़ के आवरण (संयुक्त कैप्सूल) जैसी सहयोगात्मक संरचना की क्षति या अत्यधिक नुकसान के साथ त्वचा की क्षति हो जाती है। यह चरण घातक हो सकता है।

 

प्रबंधन

बेडसोर का उपचार घाव की गंभीरता (चरण) पर निर्भर करता है। गंभीरता के आधार पर रोग को उपचारित करने के लिए विभिन्न तरह के उपायों का उपयोग किया जाता है।

 

इसमें सिंथेटिक ड्रेसिंग, सेलाइन ड्रेसिंग, एसिटिक एसिड कम्प्रेसिस और विभिन्न एंटीबायोटिक ड्रेसिंग (बेडसोर में ज्यादातर संक्रमण हो जाता है) शामिल हैं। 

अत्यधिक गंभीर घावों की स्थिति में मृत त्वचा के हिस्से को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यक हो सकती है। बेडसोर के उपचार और रोकथाम दोनों में सबसे महत्वपूर्ण कदम मुद्रा/स्थिति में बदलाव द्वारा दबाव से राहत दिलाना है।

 

रोकथाम 

बेडसोर रोकने का सबसे बेहतर उपाय लगातार शारीरिक स्थिति में बदलाव करना है, जो कि शरीर को लगातार किसी एक जगह पड़ने वाले दबाव से बचाता है तथा शरीर के वज़न को पुन: वितरित करता है। यह ऊतकों में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी मुद्रा में बदलाव नहीं कर सकता है, तो कम से कम हर दो घंटे में उसकी मुद्रा बदलने में मदद की जानी चाहिए या यदि आप कुर्सी पर बैठते है, तो कम से कम हर पंद्रह मिनट में आपकी मुद्रा में बदलाव किया जाना चाहिए। यदि कोई गतिहीनता (हिलने-डुलने) में असमर्थ है, तो तकिया या फोम वेजेज वज़न स्थानान्तरित करने में मदद कर सकता हैं। हिलने-डुलने (गतिशीलता) की सीमा (व्यायाम मशीन) अवकुंचन, रक्त परिसंचरण में सुधार; तथा जोड़ों की अखंडता, गतिशीलता एवं मांसपेशियों को बनाए रखने में मदद करती है। 

बिस्तर को तीस डिग्री (खाते समय को छोड़कर) से अधिक नहीं उठाया जाना चाहिए।

(नेशनल हेल्‍थ पोर्टल से साभार)

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